देशभर के लाखों शिक्षकों पर सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला किसी बड़े झटके से कम नहीं है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2015 में जो बदलाव किया था उस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है। इसका मतलब साफ है कि सभी शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी पास करना जरूरी होगा। जो भी शिक्षक टीईटी पास नहीं कर पाए हैं उनकी नौकरी पर सीधा संकट मंडराने लगा है। माना जा रहा है कि इस आदेश का असर करीब 10 लाख शिक्षकों पर पड़ेगा।
एचआरडी के संशोधन ने बदले शिक्षक बनने के नियम
2017 में केंद्र सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में बड़ा बदलाव किया था। इसमें साफ प्रावधान किया गया कि 31 मार्च 2015 तक भर्ती सभी शिक्षकों को चार साल के भीतर टीईटी पास करना होगा। उस समय इस फैसले का कई राज्यों में शिक्षकों और संगठनों ने जमकर विरोध किया था। लेकिन सरकार का कहना था कि बिना न्यूनतम योग्यता तय किए शिक्षा की गुणवत्ता सुधरना मुश्किल है। लंबे समय से यह नियम अधर में लटका रहा, मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने उस पर अंतिम मुहर लगाकर साफ कर दिया है कि टीईटी अनिवार्य है और इसे टालना किसी के लिए संभव नहीं होगा।
शिक्षा मित्रों पर भी संशय
सबसे ज्यादा हलचल इस फैसले के बाद शिक्षा मित्रों के बीच देखने को मिल रही है। सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें भी टीईटी पास करना पड़ेगा। हालांकि आदेश में इसका जिक्र साफ तौर पर नहीं है, लेकिन हालात यही बता रहे हैं कि अब शिक्षा मित्रों को भी इस परीक्षा से गुजरना होगा। अगर ऐसा हुआ तो हजारों शिक्षा मित्रों की नौकरी पर खतरा मंडरा जाएगा। सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से इस पर जल्द ही दिशा-निर्देश जारी होने की उम्मीद है।
माध्यमिक शिक्षकों पर भी असर की संभावना
यहीं तक बात सीमित नहीं है। शिक्षा जगत में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि आने वाले वक्त में पूर्व प्राथमिक से लेकर 12वीं तक टीईटी अनिवार्य किया जा सकता है। इस दिशा में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद एनसीटीई पहले ही एक प्रस्ताव तैयार कर रही है। जानकारी के मुताबिक 2027 में एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम आईटीईपी का पहला पाठ्यक्रम शुरू होगा। यह पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति 2020 के तहत लाया जा रहा है और इसकी अवधि 4 साल होगी।
माना जा रहा है कि आईटीईपी लागू होने के बाद देशभर में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पूरी तरह बदल जाएगी और पूर्व प्राथमिक से लेकर 12वीं तक शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य कर दी जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक भी सीधे तौर पर इसके दायरे में आ जाएंगे, जिससे शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
क्यों लिया गया यह फैसला
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अच्छी शिक्षा तभी संभव है जब शिक्षक न्यूनतम योग्यता के पैमाने पर खरे उतरें। टीईटी को इसी पैमाने का आधार माना गया है। कोर्ट का मानना है कि इस परीक्षा से न सिर्फ योग्य शिक्षकों की पहचान होगी बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
कुल मिलाकर यह फैसला आने वाले सालों में शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर बदल सकता है। खासकर उन शिक्षकों के लिए यह आदेश चेतावनी की घंटी है जिन्होंने अभी तक टीईटी पास नहीं किया है। माना जा रहा है कि यह कदम छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने और स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में अहम साबित होगा। लेकिन दूसरी ओर लाखों ऐसे शिक्षक जो नौकरी के आखिरी पड़ाव पर हैं, उनके लिए टीईटी पास करना कोई आसान काम नहीं होगा।