देशभर के लाखों शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट से आज ऐतिहासिक फैसला आया है। लंबे समय से अटके प्रमोशन विवाद पर कोर्ट ने साफ किया है कि अब पदोन्नति बिना शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास किए संभव नहीं होगी। इस आदेश का असर सीधे तौर पर सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों पर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत के शिक्षा विभाग में बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है।
5 साल सेवा शेष शिक्षकों को राहत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि केवल 5 वर्ष बची है, उन्हें अनुच्छेद 142 के तहत TET से छूट दी जाएगी। ऐसे शिक्षक प्रमोशन के लिए TET देने से मुक्त रहेंगे।
जिनका प्रमोशन हो चुका है
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिनका प्रमोशन पहले ही हो चुका है, उन्हें 2 साल के भीतर TET पास करना अनिवार्य होगा। यदि निर्धारित समय में परीक्षा पास नहीं की गई तो उन्हें रिटायरमेंट बेनिफिट देकर सेवा से बाहर किया जाएगा।
5 साल से अधिक सेवा वाले शिक्षक
अगर किसी शिक्षक की सेवा अवधि 5 साल से ज्यादा बची है तो उनके लिए प्रमोशन में TET पास करना जरूरी होगा। अब ऐसे शिक्षक बिना TET पास किए पदोन्नति नहीं पा सकेंगे।
अल्पसंख्यक विद्यालयों का मुद्दा
इस फैसले में अल्पसंख्यक विद्यालयों पर भी चर्चा हुई। अदालत ने कहा है कि इन स्कूलों में शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून लागू होगा या नहीं, इस पर फैसला लेने के लिए मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बड़ी बेंच बनाने के लिए रेफर किया गया है। यह मामला Pramati केस (2014) से जुड़ा हुआ है।
कोर्ट का स्पष्ट संदेश
प्रमोशन अब केवल उन्हीं को मिलेगा जो TET पास करेंगे।
जिनकी सेवा 5 साल से कम बची है उन्हें राहत दी गई है।
जिनका प्रमोशन पहले हो चुका है, उनके पास सिर्फ 2 साल का समय है।